स्टूडेंट्स और कारोबारी के लिए सफलता का मंत्र Success Mantre for Students and Businessmen


ऐक बिदेशी कहानी है, की जर्मन के ऐक नगर में ऐक महान संगीतकार था, दूर नगर तक जिसकी कला के सम्राट बी दीवाने थे. संगीतकार होने के साथ बे ऐक महान संगीत शिक्षक बी था. उसके पास संगीत सीखनेवालो की भीड़ लगी रहती क्योकि उसकी कला अनूठी थी. जब बो गाता तो आम लोगो की तो बात ही क्या, सम्राटो तक को बी उसकी कला दीवाना कर देती, उस जमाने के संगीतकार उस से जलस करने लगे. लेकिन उसकी शान लगातार बदती गई. ऐक वार कुछ अमीरों के वचे बी. उस गुरु से संगीत सीखने आ पहुचे. गुरु ने उन्हें आश्रम में रहने की अनुमति दी कुछ दिनों के बाद जब गुरु द्क्षना की वात आई तो नये शात्रो ने रोस जाहर किया जब गुरु ने कारन पूषा तो शात्रो का उतर था. गुरु जी हम तो पहले भी संगीत सीख कर आए है. ईस बजह से आप को हम से 50 जूरो लेने चयिए और जो बिलकुल अनजान है. संगीत के सम्बंद में उनसे 150 जूरो लेने चाहिए. तो गुरु ने कहा. जही बजह है, की जो बिलकुल अनजाने है, उनसे कम पेसे लिए जाते है. क्योकि वे कोरे कागज की तरह है. जिन पर कड़ी मेहनत नही करनी पड़ती, लेकिन तुम पेहले से ही. सीखकर आए हो. और जो सीखा है. बे बिलकुल कचरा है. सबसे पेहले तो मुझे बो कचरा साफ़ करना पड़ता है. फिर तुमाहरे साथ काम करना होता है. ईसे ईस प्रकार समझ लो की ऐक क्लास का ब्लेकबोर्ड है. जिस पर पेहले ही लिखा जा चूका है. अगर किसी को उस ब्लेकबोर्ड पर लिखना है. तो सबसे पेहले उस ब्लेकबोर्ड को साफ़ करना पड़ेगा फिर जाकर कही उस पर कुछ लिखा जा सकता है. ईसी बजह से नये विद्यार्थियों से कम फ़ीस ली जाती है. जे कहानी काल्पनिक जरूर है. लेकिन सच है हमारे सम्बंद में क्योकि जब हम किसी से कुछ सिखने जाते है. तो हमारा आहंकार जागृत हो जाता है. की हम तो पेहले से ही पीएचडी किये है. तो फिर गुरु को मजबूरन फीस वडानी पड़ेगी. ईस लिए जिसके पास बी आप कुछ सीखने जाये कोरा कागज बनकर जाए,

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