मैडम क्यूरी की बायोग्राफी Madam Curie Life In Hindi


मैडम क्यूरी का जन्म 7 नवबर. 1867 को पोलैड के वासर्रावा में हूया. मैडम क्यूरी का परिवार दो पीडियो से कई नोवेल पुरस्कार विजेता रहा. मैडम क्यूरी का असल नाम था. मेरी स्कोलोदोब्सका .उस जमाने में महिलाओ को उच्च शिक्षा के लिए वासर्रावा विश्बविद्यालय में उनूमती नही थी .जिस बजह से उनके पिता ने मैडम क्यूरी को पेरिस भेज दिया. बहा सोब्रोन विश्बविद्यालय उन्होंने विज्ञानं की परीक्षा पास कर. ईसी जगह वैज्ञनिक पियरे क्यूरी से पहले गेहरी दोस्ती हूई और फिर दोनों ने शादी कर ली सोब्रोन विश्बविद्यालय में ही. मैडम क्यूरी ने उस जमाने के सुप्र्सिद वैज्ञनिक प्रो. बेकरेल की सहायिका के तोर पर काम प्रारम्भ किया. ऐक दिन दराज से यूरेनियम के टुकड़े निकालकर फोटो प्लेटे तोली तो प्लेटो पर अजीब सा जाल देखकर उन्हें शोद की नई दिशा मिल गई. फिर क्यूरी दंपति ने आस्ट्रिया सरकार से की कि उन्हें 10 हजार किलो पिचब्लेड निशुल्क दिया जाये. सरकार ने यह प्र्स्तास्ब मान लिया. फिर शुरू हूया बड़े बड़े कड़ाहो वाल्टो में पिचब्लेड और पानी मिलाकर बांस के लठो से उने चलाने का मेहनत भरा कठिन दोर. 1819 की ऐक रात क्यूरी दंपति के लिए वरदान सावत हूई. उन्होंने जब द्वार खोला तो पाया की परखनली में रखा पिचब्लेड से मिला चुटकी भर पदार्थ रहस्यम चमकीला प्रकाश फ़ेक रहा है. लेकिन जब बती जलाई गई तो चमक लुप्त हो गई. यह रेडियम था. यूरेनियम से सेकड़ो गुना रेडियोएक्टिव और सोने से हजारो गुना कीमती. ईस खोज के लिए क्यूरी दंपति को वेकरेल को नोवेल पुरस्कार मिला. 19 अप्रेल. 1906 को पियरे बगी से अचानक गिरे और उनेह सामने से आ रहे तेज रफ्तार वाले ट्रक ने मसल डाला मैडम क्यूरी ने हिमत नही हारी . प्रयोगशाला में लगातार काम करती रही. 1910 में बे रेडियम को शुद्ध तत्वस्था में प्राप्त करने में सफल हो गई. जिस बजह से बे नोबल पुरस्कार की हकदार बनी. लगातार रेडियोधर्मी संपर्क से उन्हें रक्त केंसर हो गया और उनकी आखे भी खराब हो गई. अंत 4 जुलाई . 1934 को मैडम क्यूरी की मृत्यु हो गई.

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